वक्त
वक्त


कितना ताकतवर है न ये वक्त
बड़े से बड़े घाव को पल में भर जाता है
लगता है जिनके बिना जीना मुश्किल
उनके बिना भी जीना सिखलाता है
कशमकश जो सुलझ नहीं सकती
उसको भी क्षण भर में सुलझाता है
अपना कौन है है पराया यहाँ कौन
बुरा वक्त आकर बतलाता है
दोस्त दुश्मन है या दुश्मन दोस्त
अच्छे बुरे का भेद समझाता है
फिर भी कहते है वक्त बुरा है
मनुष्य खुद ही समझ नहीं पाता है
मनुष्य समझ नहींं पाता है
हाँ ये समझ नहीं पाता है।