देश के वीर
देश के वीर


अंग्रेजों की दासता से,
किया मुक्त वीरों ने।
अनाम उत्सर्ग कर दिया,
भारत माँ के हीरो ने।
गुलामी की बेड़ियों से,
जकड़ा हुआ था देश।
दुश्मन घर में घुस गए थे,
बदल कर परिवेश।
कपटी शत्रु पग-पग भरे थे,
कदम वीर बढ़ाते गये।
खाकर सीने पर गोली,
जान वो लुटाते गये।
हँसते-हँसते चढ़ गये सूली,
फँदे पर वो झूल गये।
भारत माता की जय बोल कर,
शीश वो चढ़ा गये।
भारत माता की खातिर,
खा ली सीने पर गोलियाँ।
शत्रु को मात देने,
बहा दी खून की नदियाँ।
शत्रु को भगा देश से,
वतन को आजाद कराया।
हो शहीद धरती माँ के लिए,
इस मिट्टी का कर्ज चुकाया।
ऐसे वीर सपूत ही तो,
भारत माँ के होते लाल।
भारत माता भी उन वीरों पर,
सदा होती है निहाल।