गुरु
गुरु
अज्ञानता का तम दूर करता,
ज्ञान की ज्योति जलाता।
लेता हाथ में जीवन की डोर,
ले जाता गुरु गंतव्य की ओर।
उंगली पकड़कर राह दिखाता,
जीवन के नये सपने सजाता।
पूर्ण समर्पण भाव से,
साकार वह करवाता।
जीवन रथ पर गुरु,
सवार करवाता।
गुरु की महिमा है बड़ी न्यारी,
शिष्यों को है वह अति प्यारी।
कर्तव्य पूर्ण कर गुरु,
नई पीढ़ी तैयार करता।
देश के लिए वह हर,
जरूरत पूरी करता।
अपने अथक प्रयास से ही,
गुरु राष्ट्र निर्माता कहलाता।