मैं नारी हूँ
मैं नारी हूँ
कमज़ोर नहीं, मैं नारी हूँ।
ना हारी हूँ, मैं नारी हूँ।
जीवन के सूने मरुथल में मैं,
स्नेह-सिक्त जलधारा हूँ।
कमज़ोर नहीं, मैं नारी हूँ।
ना हारी हूँ, मैं नारी हूँ।
पतझड़ में मैं छिपी हुई-सी,
चिर बसंत की आशा हूँ।
कमज़ोर नहीं, मैं नारी हूँ।
ना हारी हूँ, मैं नारी हूँ।
तेज़ धूप और कठिन डगर में,
स्वेद पौंछती मलय-पवन हूँ।
कमज़ोर नहीं, मैं नारी हूँ।
ना हारी हूँ, मैं नारी हूँ।
घर-आँगन में सुन किलकारी,
बह आती दूध की धारा हूँ।
कमज़ोर नहीं, मैं नारी हूँ।
ना हारी हूँ, मैं नारी हूँ।
प्यार लुटाती, प्यार सिखाती,
प्यार की मैं परिभाषा हूँ।
कमज़ोर नहीं, मैं नारी हूँ।
ना हारी हूँ, मैं नारी हूँ।
नवजीवन की आधार-शिला मैं,
नवयुग का आहवाहन हूँ।
कमज़ोर नहीं, मैं नारी हूँ।
ना हारी हूँ, मैं नारी हूँ।
मैं जीवन, मैं जिजीविषा मैं,
धात्री, मातृ, मैं दात्री हूँ।
कमज़ोर नहीं, मैं नारी हूँ।
ना हारी हूँ, मैं नारी हूँ।