Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Rachna Chaturvedi

Abstract

4.8  

Rachna Chaturvedi

Abstract

रात स्वप्न में कान्हा आए

रात स्वप्न में कान्हा आए

1 min
410


रात स्वप्न में कान्हा आए

रंग भरी पिचकारी लाए।

मैं सपने में जाग रहा था

आगे-आगे भाग रहा था।

कान्हा मुझे पुकार रहे थे

होली खेलन आए थे।


मैं पढ़ा-लिखा कुछ सजा-सजा सा

पिचकारी से भाग रहा था ।

कान्हा बोले होली खेलें 

इक दूजे पर रंग उँड़ेलें।

रंगों का त्योहार है होली 

तुझको क्यों न भाए होली ?


मैं भी मौक़ा ढूँढ रहा था 

कान्हा को बतलाने का।

होली है त्यौहार गँवारूँ 

कान्हा को समझाने के।


मौक़ा मिलते ही मैं बोला 

रंग बिगाड़ें कपड़े-लत्ते 

घर-आँगन भी मैला मैला।


पहले गंदा करो ख़ुशी से 

फिर रंगों से करो लड़ाई।

यह तो पागलपन है भाई !

मैं तो समझदार हूँ भाई !


कहने वाला भी है पागल 

करने वाला भी है पागल।


मुझे बख्श दो कान्हा जी

छुट्टी का दिन एक मिला है।

सो लेने दो कान्हा जी

मैं तो बड़ा सयाना ठहरा।

छुट्टी को क्यों व्यर्थ गँवाऊँ

काहे को मैं रंग लगाऊँ ?


कान्हा जी चुपचाप खड़े थे

तर्क नहीं था देने को।

मैं भी अकड़ा हुआ खड़ा था

कान्हा के प्रत्युत्तर को।


कान्हा बोले तू भोला है

कुछ न समझे तू भोला है।

एक बार तू कहना मान

कर ले रंगों का सम्मान।


रंग ही जीवन की पहचान 

रंग ही रस और रंग ही मान

रंग बिना सब नीरस जान

रंग बिना तू मृतक समान।


मेरा कहना मान ले भाई 

पिचकारी तू भर ले भाई !

पढ़ लिख कर हे मानव तूने

साधन में सुख खोजे तूने।

सुख की खोज में मानव तूने

जीवन के सुख खोए तूने।


मेरा कहना मान ले भाई

पिचकारी तू भर ले भाई !

एक बार तू देख निकल कर

रंगों से तू जीवन भर कर

होली का संदेश समझ कर।


यह होली है प्यार बढ़ाती

यह होली है मेल बढ़ाती।

इसको न तू छुट्टी मान

यह है जीवन का रसपान।


आती है हर साल ये होली

तुझको यह समझाने को।

हर दिन हर पल सबका जीवन

रंगों से भरवाने को।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract