साजन
साजन
ना देश-विदेश घूमने की तमन्ना थी
ना रहने को महल चाहे थे
साथ बीते जीवन हमारा-तुम्हारा
बस पलकों में यही ख्वाब सजाये थे।
डालकर सात फेरे जब तुम घर अपने लाये थे
हम तो मन ही मन फिर खूब हर्षाये थे
साजन बन तुम मेरे मन -मंदिर में समाये थे
सोलह श्रृंगार करने का अधिकार हम तुम्हीं से पाये थे।
अपने रिश्ते-नाते तो छूटते नज़र आये थे
पर रिश्ते तुम्हारे सभी तहेदिल से अपनाये थे
नहीं चाहत थी मिलें मुझे कीमती गहनें
बेशकीमती थे वो पल जो साथ हमने बिताये थे।
ना चाहा था कभी रानी सा जीवन बिताऊं
हम तो दिल की मल्लिका बनकर तुम्हारी खूब इतराये थे
पड़ी जब कभी विपत्ति हम पर ना हम घबराये थे
पास बैठकर प्यार से मसले सारे सुलझाये थे।
मिला जितना तुमसे, नहीं मिला उतना किसी से अपनापन
बेझिझक बात दिल की बस तुमसे ही कह पाये थे
हूं खुशनसीब जो पाया तुमको जीवन में
सोचती हूं पिछले जन्म कुछ पुण्य कर्म करके हम आये थे।
रहूं सदा सुहागन, रखूं करवाचौथ-व्रत तुम्हारे लिए
हो दीर्घायु, रहो स्वस्थ तुम ताउम्र प्रभु से यही मांगते आये थे।