रूपांतरण
रूपांतरण
बदलाव का आंतरिक परिक्षेत्र
गुरुत्व ही था,
और है भी।
यही मनुष्य को रूपान्तरित करता रहा है
दुनिया में महापुरुष आते रहे हैं।
यही गुरुत्व के साथ
मनुष्य की यात्रा है अज्ञात में
और अज्ञात में भी
एक से एक सुंदर दृश्य हैं
ये थे पहले भी,दिख भर रहे हैं यात्रा में।
भूल जाता है मनुष्य
यात्रा का प्रस्थान बिंदु
और इसे जैसा होना चाहिए था
ठीक ठीक वैसी जगह
पहुंच जाता है,
और यात्रा की दुश्वारियां
कहानियां,नजारे
सामान होते हैं ठीक ठीक मन्जिल में
में विश्वास बनाये रखने के।
जन चर्चाओं के विषय होते हैं
अध्यात्म के भौतिक संसार में।
