रूहानी प्रेम
रूहानी प्रेम
मेरी रूह में
बसी है तेरी रूह
ये रिश्ता
बेहद रूहानी है
पाने की चाह
न खोने का डर !
खूबसूरत एहसास
बस प्रेम ही प्रेम
राधा सा नही
मीरा सा प्रेम !
सारे बन्धनों से परे
स्वतंत्र प्रेम
तुम्हारी धड़कनों में
धड़कती मैं
मेरी सांसों में
चलते तुम !
यही तो है,प्रमाण
मेरे तुम्हारे
प्रेम का
जिस प्रेम में
परिणति नही है।
प्रेम निरन्तर होता है
कभी खत्म नहीं होता।
परिणति तो
प्रेम का अन्त करती है
खत्म तो सिर्फ
आकर्षण होता है
प्रेम तो शाश्वत है।
मैं तुम्हारी
आकर्षण मात्र
नही हूँ !
न ही तुम
मेरे लिए
आकर्षण मात्र
हमारा प्रेम
शाश्वत है
मुझे प्रेम का
अन्त नहीम करना।
यू्ँ ही महसूस करना है
इस जनम
तक ही नही
अगले कई जन्मों तक
अनन्त प्रेम की
अग्नि में
दहकते रहना है।
सम्पूर्ण ब्रहांड को
अपनी प्रेम की
ऊर्जा से
प्रेमोज्ज्वलित करना है
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