फेसबुक का प्रेम
फेसबुक का प्रेम
फेसबुक के प्रेम से, जरा हो... सावधान
मर्यादा सब तोड़कर, घूमिल करता मान।
मात्र दिखावा रह गया, बचा नही संस्कार
बातें करते द्विअर्थी, कुत्सित रखें विचार।
जो फंसता इस जाल में, बुरा हुआ बस हाल
अपनी मर्यादा तहाँ, रखना... तुम संभाल।
आप भलाई खुद करो, रखो शुद्ध.. आचार
फूँक-फूँक कर रख कदम, चलते जाओ यार।
शेयर करना छोड़ दो, तुम अपनी तस्वीर
छेड़छाड़ चलता यहाँ, बदल रही तकदीर।