ये नजर है
ये नजर है
उठी जो तुम्हारी तरफ ये नज़र है,
कि नज़रे इनायत मेरी रहगुज़र है।
नज़र जो मिलाओ तो ये ध्यान रखना,
सभी को हमारी तुम्हारी ख़बर है।
वही रासता है वही सख़्त मंजिल,
कि डरते थे हम हो गये अब निडर है।
हँसी वादियों में तेरा हाथ थामे,
चले संग कितना सुहाना सफ़र है।
जमी पर खड़ी पाँव जड़ से जमाये,
पकड़ कामयाबी को चढ़ती शिखर है।
उधर जल रही है गरीबों की बस्ती,
इधर यार मस्ती में डूबा शहर है।
असर जिस शमां पे हवाओ ने डाला,
कि जलती रही वह शमां बेअसर है।
बहुत हो गया बेवजह रूठ जाना,
मनाता नहीं अब मेरा हमसफर है।