रुपहली धूप की चादर
रुपहली धूप की चादर
यह रुपहली धूप की चादर ओढ़कर,
इन दिनों प्रकृति खिलखिलाई है !
दूर से आती हुई सूरज़ की किरणें,
पूरे आँगन,ओसारे पर छितर आई है !
हवा में रातरानी की खुशबू घुल आई है,
अमियां की बौर भी चटककर महमहाई है!
बैशाख के महीने में यह कैसी ऋतु छाई है,
कभी लू थपेड़े तो कभी बारिश जमकर आई है।