मौसम
मौसम
यह कैसी रुत है छाई ?
मौसम ने ली अंगड़ाई,
यह सावन की कैसी घड़ी है ?
बादल दुशाला ओढ़े खड़ी है।
यह मौसम कैसा चकरा रहा ?
मेरा मन क्यों घबरा रहा ?
तुम बड़ी बहके बहके से लग रहे हो ?
ये कैसा प्रश्न लिए मन में खड़े हो ?
तुम्हारे अरमान कुछ और लग रहे हैं।
क्यूं जज्बात यू बहके बहके लग रहे हैं ?
ये कैसी बारिश की घड़ी है ?
तुम जुल्फें क्यूं खोले खड़ी हो।
मेरा मन क्यों शर्मा रहा है ?
जाने क्यों दिल घबरा रहा ?
मन को भरमा रहा।
अब ये दिल है तरसे तरसे से।
यह कैसी हवा चली है तन को भिगो चली ,
चोली है भीगे भीगे से ?
भीगा ये बदन लगाए दिल में अगंन।
हम क्यों है बहके बहके से ?
यू तो बहकाओ ना मन को बहलाओ ना ?
क्यू ये बिजली कड़के कड़के से।
सावन लिए खड़ा, मौसम बारिश लिए खड़ा ,
कैसे घर पे हम जाए ?
जुल्फें फहेराओ ना,यू तो तड़पाओ ना ?
मिलके चलो खो जाए।
सावन लिए खड़ा, पीपल पे खुला पड़ा।
मन क्यू कहे,आज खो जाए ?
यू तो छुपाओ ना,मस्ती में आओ ना।
खुल के चलो आज भींग जाए।
कैसी घटा खड़ी बिजली लिए खड़ी ?
बदन में लगी आग जैसे,
बारिश के ये लड़ी मोती लिए खड़ी ,
कोयल है चहके चहके से।
नजरे मिलाओ ना, मेघा रुक जाओ ना
हम है बड़े सहमे सहमे से ,
बारिश की तेज लड़ी, बिजली लिए खड़ी,
मेरा मन क्यू है तड़पे तडपे से ?
यूँ तो घबराओ, ना नजरें मिलाओ ना,
मिलके चलो आज खो जाए।