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Ram Binod Kumar 'Sanatan Bharat'

Abstract Classics Inspirational

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Ram Binod Kumar 'Sanatan Bharat'

Abstract Classics Inspirational

परछाइयां

परछाइयां

2 mins
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बढ़ते जा सदा सत्य-मार्ग पर,

न देखकर कभी डरना पड़ेगा।

तुझे अपनी ही परछाइयां।

सुन अंतरात्मा की आवाज,

वैसा ही सत्य का आचरण कर।


धोखेबाजी-चालाकी को तिलांजलि देकर,

ईमानदारी को अपनी जीवन नीति बना।

फिर बन जाएगा दुनिया का सबसे,

बुद्धिमान-बलवान-धनवान पुरुष।

अविश्वास न कर,सद्गुरु का कथन है।


इसी बात को परम-सत्य जान,

सत्य में हजार हाथियों का बल है।

इसकी तुलना सृष्टि के किसी बल से नहीं,

झूठ तो आज न कल जरूर खुल जाएगा,

तब तुम्हारी रही-सही मान भी,

धूल-मिट्टी में सदा मिल जाएगी।


मत देख क्षणिक लाभ- मान को,

अंत की अनंत हानि भी पहचान,

अपने कर्मों से सच्चाई का परिचय दें,

भले ही अभी छोटे दिखे तुझे सत्य,

फल-फूल कर विशाल वृक्ष बन जाएगा,

भले ही इसकी बीज हो पाताल में भी,

पर एक दिन अंकुर जरूर निकल आएगा।


अगर तुम चाहते हो मानयुक्त,

सुख-शांति से जीवन बिताना,

दृढ़निश्चय कर वचन-कार्य हों सच्चाई भरे,

अन्यथा फिर देख कर अपनी ही,

परछाइयों से एक दिन डर जाएगा।

कर्म तेरे कभी भी, पीछा न छोड़ने वाले,

भले कल के कर्म, आज तुम भूल जाओ।


पर कर्मफल तुझे विरासत में,

सदा तेरा ही द्वार खटखटाया।

अगर उल्टे करेगा कभी कार्य तू,

कभी चाह कर भी अपनी परछाइयों के,

भय से न कभी भाग पाएगा।


जिएगा सदा डर-डर कर,

पल-पल में घबराएगा,

बदल ले अपनी दुनिया,

सच के साथ खड़ा हो जा,

मिलेगी हिम्मत और आपर बल,

पाकर तू बलवान सा मुस्कुराएगा।


फिर न डरोगे तुम किसी से,

चाहे कोई कितना बलवान हो।

वह न कभी तुझे डरा पाएगा।

जब खड़ा हो जाएगा सच के साथ है तू,

बन जाएगा उस परमपिता का,

सच्चा- अच्छा बुद्धिमान वारिस,

वह तुझे गले लगा, गर्व से मुस्कुराएगा।


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