रोज कोई आता है
रोज कोई आता है
1 min
238
रोज कोई आता है
मेरे घर के सामने
फूलों से लदे पेड़ की
डालियाँ हिलाता है
फूल झड़ते हैं
और महक उठता
घर आंगन और
खलिहान।
रोज कोई आता है
ढूंढ लाता है
न जाने कहाँ कहाँ से
मेरी बिखरी हुयी
ख्वाहिशें,
नये नये गीत
नये नये राग
और नयी नयी
कहानियां
छलक उठता है
खुशियों का जाम रोज
मेरे घर के सामने।