STORYMIRROR

संदीप सिंधवाल

Romance

3  

संदीप सिंधवाल

Romance

रोज डे - हाइकु

रोज डे - हाइकु

1 min
261


एक गुलाब

संभाल के रखा था

उनके लिए।


किताबी पन्ने

खुशबू को सहेजे

बेकरार हैं।


रोज़ डे आए

आकर चले गए

रोज के जैसे।


नया गुलाब

खरीद तो ले आऊं

किताब कहां?


वो मुहब्बत

जिंदा रखी हुई है

किताब में ही।


रोज़ डे उसे

ताजा कर देता है

एहसास से।





Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance