रोज डे - हाइकु
रोज डे - हाइकु
एक गुलाब
संभाल के रखा था
उनके लिए।
किताबी पन्ने
खुशबू को सहेजे
बेकरार हैं।
रोज़ डे आए
आकर चले गए
रोज के जैसे।
नया गुलाब
खरीद तो ले आऊं
किताब कहां?
वो मुहब्बत
जिंदा रखी हुई है
किताब में ही।
रोज़ डे उसे
ताजा कर देता है
एहसास से।