रंगीली गली
रंगीली गली
टेसू फूलों की खिली कली,
प्रेम सुधा की अगन जली।
मुस्कुरा उठी कचनार कली,
फाग मास में रंगों से भरी गली।
शीत ऋतु की हुई विदाई,
देखो मदमस्त ऋतु आई।।
प्रेमी ने प्रेमिका को बात समझाई,
राधा-कृष्ण की देकर दुहाई।
सरसों के पीले फूलों से धरा सजाई,
रंग गुलाल भौजाई ले आई।
शीत ऋतु की हुई विदाई,
देखो मदमस्त ऋतु आई।।
सर्दी जुकाम छींक जब आई,
कोरोना के डर की बात समाई।
बढ़ते केसों ने चिंता बढ़ाई,
होली खेले बिना नहीं माने भाई।
शीत ऋतु की हुई विदाई,
देखो मदमस्त ऋतु आई।।