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Hoshiar Singh Yadav Writer

Abstract Classics

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Hoshiar Singh Yadav Writer

Abstract Classics

रक्षाबंधन

रक्षाबंधन

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अटूट बंधन प्रेम का, राखी का त्योहार,

इस राखी में बंधा है, भाई बहना प्यार,

ऐसा पर्व कभी नहीं,आता ले लो हजार,

बेहना की रक्षा खातिर,भाई खड़ा तैयार।


एक वर्ष में आता है, बेसब्री से इंतजार,

राखी के पर्व में,यम यमी सा बंधा प्यार,

बहन जाती या भाई जाए, जाएगा जरूर,

मन खुशी से भरा हाता, नहीं होता गरूर।


एक एक धागे में, लाखों भरे आशीर्वाद,

इस राखी, इस बंधन को, रखते हैं याद,

यमराज भी देखकर प्यार,झुकता एकबार,

बहना के प्यार पर, कुर्बान जीवन हजार।


राखी कर्णवती ने भेजी, आया हुमायू दौड़

तब तक रानी अंगार हो चुकी आया मोड़,

राखी सिकंदर पत्नी भेजी, पोरस समझाया,

राखी के कारण ही सिकंदर बचके आया।


शीशुपाल का वध किया, अंगुली में चोट,

द्रोपदी ने साड़ी फाड़कर, खून दिया रोक,

भरी सभा में साड़ी खिंची दुशासन बेईमान,

चीर बढ़ाया श्रीकृष्ण ने, रखा उनका मान।


सदियों से चला आ रहा,भाई बहन प्यार,

अर्पण कर दे बहन पर, जीवन भाई हजार,

बहन भाई को दी है, आशीष, दुआ, प्यार,

यही प्रेम बस रहता है सदियों तक उधार।


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