रजीवलोचन
रजीवलोचन
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सुबह मद्धम रोशनी
लालिमा बेखरती
कलरव करते चलते पंछी
क्या कुछ
घटित हुआ
आह मन को प्रफुल्लित करता
यौवन की तरह प्रस्फुटित
कमल दल खिला।