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Brijlala Rohanअन्वेषी

Abstract Horror Tragedy

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Brijlala Rohanअन्वेषी

Abstract Horror Tragedy

रिश्तों का खून

रिश्तों का खून

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कैसी हालात आई है ?

कैसा चढ़ा है जुनून ?

जहाँ नित- प्रतिदिन हो रहा 

विश्वास के रिश्तों का खून !


जहाँ मिल रहा अपने हाथों ही

अपनों का कत्ल कर कलेजे को ठंडक

और दिल को सुकून। 


न जाने लोगों को क्यों

मोह -माया के व्यर्थ बंधन में

अपने कर्त्तव्यपथ से विमुख

होने का चढ़ रखा है जुनून। 


अपनी बलवती लोभ- लिप्सा के कारण

यहाँ रोज हो रहा विश्वास के रिश्तों का खून। 

ये कैसी हालात आई है ?

ये कैसा चढ़ा है जुनून?


जहाँ नित -प्रतिदिन हो रहे हैं

विश्वास के रिश्तों का खून। 


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