सहन किया है मैंने नित दिन अत्याचार पीड़ा, प्रताड़ना और दुराचार, मूक नही, बधिर नही, फिर सहन किया है मैंने नित दिन अत्याचार पीड़ा, प्रताड़ना और दुराचार, मूक नही, बधि...
मैं समर्पित कर देती स्वयं को एक विशाल सागर के अस्तित्व में। मैं समर्पित कर देती स्वयं को एक विशाल सागर के अस्तित्व में।
प्रेम मोह मेरा फिर तन गांठें, ये तो नित की क्रीडा है।। प्रेम मोह मेरा फिर तन गांठें, ये तो नित की क्रीडा है।।
जहाँ नित -प्रतिदिन हो रहे हैं विश्वास के रिश्तों का खून। जहाँ नित -प्रतिदिन हो रहे हैं विश्वास के रिश्तों का खून।
उसकी समझूँ न कारिस्तानी क्या साजन ? नहिं पाकिस्तानी ! उसकी समझूँ न कारिस्तानी क्या साजन ? नहिं पाकिस्तानी !
क्या खूब नजारा है मैया का द्वारा है। देती हैं नित दर्शन, हरती दु:ख सारा है। क्या खूब नजारा है मैया का द्वारा है। देती हैं नित दर्शन, हरती द...