Sandhya Chaturvedi
Drama
रिश्ते जुड़ जाते हैं
कुछ जन्म से
और कुछ बन जाते हैं।
अनजाने में कभी
गुजर जाती है।
जिंदगी इन को
सम्भालने में,
ये ही तो
धरोहर है
जीवन की।
जिंदगी गुजर
जाती है
रिश्तों की पोटली
उठाने में।
हारेगा कोरोना
ये गलियां ,ये...
मेरी जिंदगी म...
होली आयी है
कोरोना से डरो...
आज की नारी
ब्रज की होली
सीता का वनवास
कौन करता है भ...
जो बीते दिनों की याद में याद कर हम याद करते हैं! जो बीते दिनों की याद में याद कर हम याद करते हैं!
उसकी परछाई संग चलने लगा था, वसुंधरा पर रहने वाला उसकी परछाई संग चलने लगा था, वसुंधरा पर रहने वाला
तेरे मिलन की तड़प हे मुझ को, हमारा मिलन कभी होता नहीं, तेरे मिलन की तड़प हे मुझ को, हमारा मिलन कभी होता नहीं,
मैं हूं तेरे प्यार का दीवाना, बांहों में सिमट जाना मेरी सनम। मैं हूं तेरे प्यार का दीवाना, बांहों में सिमट जाना मेरी सनम।
बचपन की किलकारियाँ आज बोझ से तम है... बचपन की किलकारियाँ आज बोझ से तम है...
अपनी ज़िद के आगे यूँ डूबा न देना क़श्ती उम्मीदों को... अपनी ज़िद के आगे यूँ डूबा न देना क़श्ती उम्मीदों को...
जी हाँँ, यहाँ बेशक़ एक-से-बढ़ के एक बहुरूपिये मिल जाते हैं, जी हाँँ, यहाँ बेशक़ एक-से-बढ़ के एक बहुरूपिये मिल जाते हैं,
चमकती हुई एक नई सितारा पूरी विश्व की माथे की बिंदी बन जाए, चमकती हुई एक नई सितारा पूरी विश्व की माथे की बिंदी बन जाए,
पहले उन्हें, जलाओ जो रावण से बड़े नीच फिर रावण पर चलाओ, आप अग्नि तीर। पहले उन्हें, जलाओ जो रावण से बड़े नीच फिर रावण पर चलाओ, आप अग्नि तीर।
ऐ दोस्तों ये अपनी दोस्ती, तो कई दशकों पुरानी है….. ऐ दोस्तों ये अपनी दोस्ती, तो कई दशकों पुरानी है…..
मैं इस देश का जवान हूँ...! मैं इस देश का जवान हूँ...!
मंजूर है हम एक दूसरे के हो न सके गवाही मे रंजिश की बातें तो रहने दो। मंजूर है हम एक दूसरे के हो न सके गवाही मे रंजिश की बातें तो रहने दो।
और अभी भी तुम मेरे लिए अनजान ही हो। और अभी भी तुम मेरे लिए अनजान ही हो।
अपने काजल साफ़े पर ही हँस आते हैं...! अपने काजल साफ़े पर ही हँस आते हैं...!
कवर दिया हुआ है कवर दिया हुआ है
है,ना जाने हमारी ज़िंदगी में भी कभी खुलकर जीना लिखा भी या नहीं। है,ना जाने हमारी ज़िंदगी में भी कभी खुलकर जीना लिखा भी या नहीं।
हर कौम भी अपनी थी हर धर्म भी अपना। हर शख्स की आंखो में था बस प्यार का सपना। राम में रहीम में तू... हर कौम भी अपनी थी हर धर्म भी अपना। हर शख्स की आंखो में था बस प्यार का सपना। ...
जो नित कर्म करते, रोज जलाते आलस्य होलिका जो नित कर्म करते, रोज जलाते आलस्य होलिका
क़रीब किसी के हो के भी खोया मैं रहा हूँ। क़रीब किसी के हो के भी खोया मैं रहा हूँ।