रिश्ते
रिश्ते
कई ख्वाब इन आँखों में बसते हैं
चेहरे हमारे एक दूसरे की हँसी से सजते हैं....
बनाते हैं ज़िंदगी खुद अपने दम पर
नसीब को कहाँ हम लकीरों में ढूंढते हैं...
पहले ख़ुशी फिर हँसी और फिर आदत
और फिर ज़िंदगी की ज़रूरत बन जाते हैं....
अगर रिश्तों के धागे टूटे भी
तो ये मोती नए धागों में बुन जाते हैं....
गीले-शिकवे-वादे, है रिश्तों के हसीन पहलू
लाठी के मारने से भला, पानी कभी बिछड़ते है....
रिश्ते में हमारे कोई तो एहसास खास है
दूर होके भी हम आज भी पास है....
