रिश्ते और सफलता
रिश्ते और सफलता


ग़लत-फ़हमियां वक़्त रहते
दूर ना की जाए तो
हमारे रिश्तों को प्रभावित
करती है
हमारी भी आदत है कि हम
ख़ुश-फ़हमी में रहते हैं
बस ज़िन्दगी जीए चले जाते हैं
रिश्तों को समझने की तो कभी
कोशिश ही नहीं करते
बस ज़िन्दगी जीए चले जाते हैं
हम दूसरों के लिए कम और
अपने लिए ज़्यादा
बस ज़िन्दगी जीए चले जाते हैं
जबकि हमारे इस कृत्य से
सामने वाले की
भावनाएं प्रभावित होती है
सफलता को मापने का कोई
पैमाना नहीं होता
अपनी सफलता का यह बोझ
हम दूसरों को दिए जाते हैं
कहते हैं एक विशाल वृक्ष
अपने आसपास के पौधों को
पनपने नहीं देता
सफलता व्यक्ति में अहंकार
पैदा करती है
तो कुछ व्यक्ति तो ताउम्र
सफलता को तरस जाते हैं
ऐसा नहीं कि यह लोग
क़ाबिल नहीं होते
बल्कि जो लोग सफल होते हैं
वही लोग सबको भाते हैं
असफल व्यक्ति तो हमेशा
उपेक्षित ही रहते हैं।