रिश्ता ईश्वर से
रिश्ता ईश्वर से
मृगतृष्णा
लोग कहते हैं कि
अस्तित्व है तुम्हारा
तो कभी आते
क्यों नहीं सामने
महसूस तो करूँ
कि कभी छुँऊ तुम्हें
क्या है, तुम्हारे स्पर्श का
महत्व कभी जानूँ,
तुम्हीं में खो जाऊँ,
और तुम ही हो जाऊँ,
नश्वर ही सही पर तुम्हें छूकर,
एक बार तुममें
लुप्त होकर, होकर एकाकार,
खुद को अमर कर जाऊँ
ना फिर धरती पर आऊँ
हो तुम कहीं गर तो
आवाज दो मुझको
कभी तो खुद से कर दो
अमर मुझको
कभी तो बताओ कि
अस्तित्व है तुम्हारा
लोग कहते हैं कि
अस्तित्व है तुम्हाराl