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Praveen Gola

Abstract

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Praveen Gola

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रहस्य

रहस्य

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रहस्य की गहराई में छुपी खोज,

भरी है रहस्यमयी जिसकी छाँव,

चारों दिशाओं में बसा ये रोज,

सर्वज्ञान के रहस्य का है अभाव।


विशाल आकाश में गुप्त तारे,

धरती के नीचे छिपा है खजाना ,

जीवन के सवालों के उत्तर कहाँ,

रहस्यमय सृष्टि को किसने जाना ?


कुलीन वेदों के आचार्य भी हैं,

रहस्यों के आगमन में अचेत,

ज्ञान के सागर में खो जाते हैं,

विचार विवेचना से हो सचेत |


सृष्टि के रचयिता का यह खेल है,

रहस्यों से युक्त यह जग सजता,

ज्ञान के पथिक जाने कैसे मिले,

समझ के रहस्य से जो सुलझाता।


अनजान सफर की छाँव में चले हम,

रहस्य जीवन का जहाँ आधार बना,

ज्ञान की ज्योति से हो रौशन हम,

चारों ओर फैला हो जहाँ अंधकार घना ||


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