Hardik Mahajan Hardik
Tragedy Inspirational
रहा न घमंड जो रावण
का तो हमारी क्या बिसात है,
राम की कृपा ही हमारे
लिए प्रसाद है।
इस जाते हुए न...
उस मोड़ पर
जीवन में
न हारे थे, न ...
कुछ जज़्बातों...
हर घर सजाता
दिवाली की रोश...
जगमगाओं रोशनी...
चंद-चंद करके
सरल,सहज, शुद्...
और जिंदगी को परोपकार से बिता रहा है। और जिंदगी को परोपकार से बिता रहा है।
वो मां ही जाने दर्द इसका जिसकी गोद थी सूनी हो गई! वो मां ही जाने दर्द इसका जिसकी गोद थी सूनी हो गई!
कुछ लम्हों की बात थी, जो गमों में बदल गई। कुछ लम्हों की बात थी, जो गमों में बदल गई।
दौड़ा दौड़ा भागा भागा सा, वक़्त के पीछे मारा मारा सा। दौड़ा दौड़ा भागा भागा सा, वक़्त के पीछे मारा मारा सा।
टूटे हुए कांच के भाँति ज़मीन पर बिखरे पड़े हैं। टूटे हुए कांच के भाँति ज़मीन पर बिखरे पड़े हैं।
सूख गये आज सातों समंदर हैं कैसा छाया झूठ,फ़रेब मंजर है सूख गये आज सातों समंदर हैं कैसा छाया झूठ,फ़रेब मंजर है
एक रोज की दास्तां बने, गिले शिकवे और हंसे, एक रोज की दास्तां बने, गिले शिकवे और हंसे,
मन ही मन कोसा खुद को फिर खुद पर ही मुस्कुराई बोली क्यो मांझी संग प्रीत लगाई। मन ही मन कोसा खुद को फिर खुद पर ही मुस्कुराई बोली क्यो मांझी संग प्रीत लग...
तुझको भी तो वे छोड़े नहीं कठपुतली तो वो खुद बने औऱ किसीको भी बख्से नहीं ! तुझको भी तो वे छोड़े नहीं कठपुतली तो वो खुद बने औऱ किसीको भी बख्से नहीं !
फिर वापस आई है, वो मेंहदी वाले हाथ। फिर वापस आई है, वो मेंहदी वाले हाथ।
शायद वो पलट आए कभी और ये कहे देखो ' प्रभात ' मैं लौट आयी आखिर तेरे लिए। शायद वो पलट आए कभी और ये कहे देखो ' प्रभात ' मैं लौट आयी आखिर तेरे लिए।
खोकर सबकुछ शायद एक दिन सच को तू जीत पाएगा। खोकर सबकुछ शायद एक दिन सच को तू जीत पाएगा।
बंद हो गये है,आज वो दरवाजे जिनसे आती थी,कभी आवाजे! बंद हो गये है,आज वो दरवाजे जिनसे आती थी,कभी आवाजे!
व्यर्थ ही खुद को ना भटका इस धन का मोह निरर्थक है। व्यर्थ ही खुद को ना भटका इस धन का मोह निरर्थक है।
आस कहीं कोई और नहीं कहाँ जाकर फ़रियाद करें हम ईश की चौखट बंद पड़ी। आस कहीं कोई और नहीं कहाँ जाकर फ़रियाद करें हम ईश की चौखट बंद पड़ी।
ज़वाब ए देखते भेजते है क्या आज़म गुलाब ए इश्क़ ख़त रस भरा ज़रा भेजा। ज़वाब ए देखते भेजते है क्या आज़म गुलाब ए इश्क़ ख़त रस भरा ज़रा भेजा।
जख्म गहरे हैं वादों के सिसकियों से नाता साँसों का जख्म गहरे हैं वादों के सिसकियों से नाता साँसों का
पाप की कमाई से कैसे अपने अपनों के लिए कैसे खुशियां तुम ला पाओगे। पाप की कमाई से कैसे अपने अपनों के लिए कैसे खुशियां तुम ला पाओगे।
कठिन पर कठिन है जीवन स्वार्थ छल का प्रतिकार करना I कठिन पर कठिन है जीवन स्वार्थ छल का प्रतिकार करना I