रेडियो तुम सबके मीत हो
रेडियो तुम सबके मीत हो
रेडियो को कोई कैसे
भुला सकता है
जिसने हमें कानों से
देखना सिखाया है
रेडियो तुम सब के मीत हो
कार्यक्रम से बंध जाते श्रोता
तुम तो सबके प्रीत हो
सुख दुख के साथी तुम
प्रेम अपनत्व भरी पाती तुम
हौसला देने वाले
सदियों की रीत तुम
तुमसे मिलकर
आत्मविश्वास बढ़ जाता
तेरी धुन में रहकर
हर लम्हा खुशनुमा हो जाता
सुगम, सरल भाषा
हर किसी को पसंद
तुम्हारा अंदाज
सबको है भाता
तेरी आवाज
आवाज उठाने का
सलीका दिखलाता
ज्ञान-विज्ञान, देश-दुनिया,
घर संसार सब का
हाल बतलाता
चिट्ठी पत्री यह बतलाता
सबका तुमसे जुड़ाव कितना
फोन इन का क्या कहें
आपसी संवाद है बन जाता
युवाओं की धड़कन बने
युववाणी देखो
किसानों का साथी बन जाए
जब चौपाल सजे
बहनों का घर संसार सजाए
घर आंगन, घर गोसाइन सुनो
छोटे बच्चों का मन बहलाये
फुलवारी है देखो
ईमेल की गूँज
पसंद के गीत सुनाए
गाँव कर गीत सुन
मन झूम जाए
आईना सबको
समसामयिक आईना दिखाये
गुलदस्ता क्रम कविता, कहानी
परिचर्चा का मंच सजाए
अभिव्यक्ति क्रम
प्रेरणात्मक सीख दे जाए
खेती की बात
किसानों को
नई सीख बतलाए
रेडियो तुम सबके मीत हो
कार्यक्रम से बंधे जाते श्रोता
तुम तो सबके प्रीत हो !
