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Amlendu Shukla

Abstract

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Amlendu Shukla

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रात

रात

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रात सुहानी मतवाली एक जादू आज दिखाए है

अपनी धवल चाँदनी से हर दिल को ललचाये है।

छटा मनोहर,सुन्दर, अनुपम,हर आँखों में बस जाती है

रति बनकर यह रात आज हर कामदेव भरमाये है।


इसकी साड़ी में जड़े सितारे नयनों को प्यारे लगते हैं

हीरा पन्ना की भांति चमकते ये कितने न्यारे लगते हैं।

दिलकश चाँद गगन में आकर दृश्य मनोरम करता है

ऐसी रातों के सभी दृश्य, हर दिल को प्यारे लगते हैं।


चलती हुईं हवाएं शीतल, तन को जब छू जातीं हैं

रोम रोम को जैसे वो प्याला नया पिलाती हैं।

लेकर हाला की प्याला ये रैना क्यों ललचाये है ?

रात सुहानी मतवाली एक जादू आज दिखाए है।


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