रात की खामोशी
रात की खामोशी
रात की खामोशी कुछ कहे हमसे,
क्यूँ जगे हो तुम, होके दूर उनसे?
क्यूँ धड़कता है दिल इतने जोरों से?
क्यूँ तड़पती हैं जान उनके छूने से?
बारिश में भीगे अरसे हुए,
खुशी की लहर जैसे खोए हुए।
अश्कों के ज़हर को घोले हुए,
अपने होके भी तुम तो पराए हुए।
आसमान से टूटा तारा कोई,
दिल में उतर कर समाया कोई।
प्यार किसी का चुराता कोई,
दर्द किसी का छुपाता कोई।
दुनिया से छुपते-छुपाते हुए,
दर्द को हँसी से उड़ाता कोई।