ज़िन्दगी में, कभी न कभी.....
ज़िन्दगी में, कभी न कभी.....
ज़िन्दगी में, कभी न कभी,
प्यार करते ही हैं, हम सभी।
वो मिले न मिले, इसको छोड़ो,
पर मिलने का, यकीन था कभी।
ज़िन्दगी में, कभी न कभी, प्यार करते ही हैं, हम सभी…..
साँझ को उनसे, वादा ये था,
हम मिलेंगे, हर भोर पर,
फासले, कितने हो दरमियाँ,
हम दिखेंगे, एक छोर पर।
वक़्त बे-मुर्रवत, को देखो,
भोर आयी न, वो ही कभी।
ज़िन्दगी में, कभी न कभी, प्यार करते ही हैं, हम सभी…..
एक भूली हुई सी, वो दास्ताँ,
जो न, अधूरी न पूरी रही।
साथ थे जिनके, हरपल हरदम,
नज़दीक हो कर भी, दूरी रही।
रिश्तों की वो, उलझन जो सोचो,
आँखों में दे जाती है, थोड़ी नमी।
ज़िन्दगी में, कभी न कभी, प्यार करते ही हैं, हम सभी…..
अब ज़िन्दगी का, ये कारवाँ,
मुड़ गया है, हसीन मोड़ पर।
न हम हैं रुके, न वो हैं खड़े,
वक़्त के, किसी भी, छोर पर।
हम न मिलें, शायद फिर, लोगों,
पर वो दोस्ती, न भूली कभी।
ज़िन्दगी में, कभी न कभी, प्यार करते ही हैं, हम सभी…..