राष्ट्रवाद जग में ऊंचा होना है
राष्ट्रवाद जग में ऊंचा होना है
एक से बड़ा एक भ्रष्टाचारी,
मंच पर धर्मवीर कर्मवीर अनुरागी,
मिथ्या के संवाहक करते उत्थान,
मंच पर अमर गाथा क्रांतिकारी।
जाति धर्म से प्रेरक हो मिलती,
धरातल पर ओजस्वी योजना इंसान,
लोभ लालच हिंसा जनजीवन बिखराते,
क्या यही राष्ट्र और राष्ट्रवाद का सम्मान।
धिक्कार तुम्हारा जीना है,
देश धर्म जिसने लूटा है,
कलंकित होता इतिहास पृष्ठ पर,
राष्ट्रवाद जग में ऊंचा होना है।