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Vijay Kumar उपनाम "साखी"

Tragedy

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Vijay Kumar उपनाम "साखी"

Tragedy

राखी की पुकार

राखी की पुकार

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सुनो भाईयों राखी की पुकार है

उतारो बहनों को नदिया पार है,

नदिया के बीच तुम्हारी बहनों के

बड़े-बड़े मगरमच्छों के परिवार है,

वो बहुत ही रोती है,बिलखती है,

बीच मे खाने को शार्क तैयार है,

सुनो भाईयों राखी की पुकार है!

उतारो बहनों को नदिया पार है!


नदी की लहरों से नही डरती है

न किसी सुनामी से वो डरती है

वो डरती नदी में सर्पों की बहार है

ये मन में रखते बड़े गंदे विचार है

सुनो भाईयों राखी की पुकार है

उतारो बहनों को नदियां पार है!


यूँ तो वो दुर्गा का ही अवतार है

आज के महिषों से वो लाचार है

पहले तो एक दानव से युद्ध था,

आज हरनदी में महिष का तार है

सुनो भाईयों राखी की पुकार है

उतारो बहनों को नदियां पार है!


एकमात्र फौजी पे उसे विश्वास है,

बाकी हरनदी में फैला अंधकार है

तुम भाईयों हरहाल में जागना है,

वरना हो जायेगा खत्म संसार है

बिन बहन के क्या रौनक होगी

बिना बहन के क्या महक होगी,

बहिनों को बचाओ सब भाईयों

सुनो भाईयों राखी की पुकार है!


संसार मे गर बहन न होगी,

जग में क्या ख़ुशी जिंदा होगी

बहिन रूपी फूल की करो रक्षा, 

हर बगिया होगी खिली यार है

सुनो भाईयों राखी की पुकार है

उतारो बहनों को नदियां पार है!


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