राजकुमारी की जिद
राजकुमारी की जिद
एक राजकुमारी थी प्यारी-प्यारी,
राजाजी की राजदुलारी।
चांद सा चेहरा,नाजुक कली थी,
बड़े नाजों से वह पाली थी।
हर बात पर करती थी मनमानी,
एक बार चांद लेने कि उसने ठानी।
अरे कोई मुझे चांद ला दो,सबसे वह कहती थी।
जिद पूरी ना होने पर खोई -खोई सी रहती थी।
खाना पीना छोड़ दिया,
सब से नात उसने तोड़ दिया।
अब राजाजी हो गए परेशान,
अरे कोई तो करो इसका समाधान।
कई विद्वान और मंत्री आए,
पर राजकुमारी की जिद पूरी ना कर पाए।
फिर एक बूढ़ा व्यापारी आया,
चांदी का छोटा सा चांद उसने बनवाया।
जहां कोई तरकीब काम ना आई,
वहां व्यापारी ने अपनी बुद्धि लगाई।
चांद पाकर राजकुमारी का चेहरा खिला था,
राजा को जैसे नया जीवन मिला था।
राजा ने व्यापारी को माना भगवान,
उसे दिया मुंह मांगा इनाम।।