जैसी करनी वैसी भरनी
जैसी करनी वैसी भरनी
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एक हाथी था प्यारा प्यारा ,
दर्जी बाबू का राज दुलारा।
रोज दुकान पर आता था,
वहां पर केला खाता था।
एक बार दर्जी गया काम से ,
बेटा बैठा था दुकान पे।
रोज की तरह फिर हाथी आया ,
उसे देखकर बेटा मुस्काया।
हाथी में जब सूंड बढ़ाई,
बेटे ने सुई चुुभाई ।
अब हाथी को गुस्सा आया,
सूंड में कीचड़ का पानी भरकर लाया।
सारा पानी दुकान में गिराया,
अब दर्जी का बेटा पछताया ।
माफ कर दो हाथीराम ,
अब ना करूंगा ऐसा काम।।