STORYMIRROR

Chetan Gondaliya

Romance

3  

Chetan Gondaliya

Romance

राहें इंतज़ार में

राहें इंतज़ार में

1 min
206

जलती शमा जैसे लगती है पिघलने को,

आप ख़ुद ही छोड़ चलेंगे कहीं और ढलने।


बेज़ार दर्द काफ़ी है, चिंगारी भड़काने को,

मैं भी हूँ, ख़ुश्क पत्तों सा, लो ! और क्या चाहिए जलाने को।


उनके आने की ख़बर भर से, ग़ज़ल में,

उमड़ बैठे सरे शेर इंतज़ारमें, दिलमहाल में। 


ग़ुरबत होती क्या ख़ौफ़नाक जनाब !, कोई पल को, 

बुँदे-आब तो क्या राल तक न नसीब निगलने को ।


आसानियाँ न होती अच्छी इतनी भी कभी,

ताज में क़लगी भी और रखो फ़नकारियाँ छलने को ! 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance