STORYMIRROR

Pradeepti Sharma

Romance

3  

Pradeepti Sharma

Romance

राधा

राधा

1 min
298


तू बहती एक धारा सी, 

कान्हा के हर गीत में, 

तू रहती एक सहारा सी, 

बिछड़े दिलों की प्रीत में, 

तू छवि है अटूट समर्पण की, 

झलक असीम प्रेम के दर्पण की, 

तेरी श्वेत काया में, 

दिखती है कृष्ण की श्याम छाया, 

तेरे सौम्य रूप में, 

दीखते हैं मनोहर भाव स्वरुप में, 

तू पृथिक होकर भी देह से, 

जुडी है कान्हा के स्नेह से, 

तेरा जीवन वैराग्य में, 

तप करता प्रेम अग्नि में, 

जो छूटा कुमकुम भाग्य में, 

वह पाया जप कृष्ण संगिनी में |


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance