राधा का वियोग
राधा का वियोग
तुम छोरे नन्द के हो कान्हा
मैं छोरी हूं बरसाने की
तुम नन्द के नटखट नंद किशोर
मैं तुम्हारी राधा चंद चकोर।
वृंदावन में नटखट करते
मुरली बजाते माखन चुराते
पनघट पर जब मैं हूं जाती
छोड़ के सब कुछ पीछे आते
पर तुम छोड़ के सब कुछ चले गये
मुँह मोड़ कहाँ तुम चले गये
रोती सखियाँ, रोती गइया,
रोता है सारा वृन्दावन
मैं रोती हूं वियोग में तेरे
तुम भी तो रोते होगे
क्या याद है तुमको वो बातें
जो हम तुम साथ में करते थे
क्या याद है तुमको वृंदावन
जहां तुम मुझे छेड़ा करते
क्या याद है तुमको वो पनघट
जहाँ मैं पानी भरने जाती
क्या याद है तुमको वो स्थल
जहां हम तुम संग खेला करते
क्या याद है तुमको ये बरसाना
जहां रहती है तुम्हारी राधा।