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Dr Mahima Singh

Romance Classics

4.5  

Dr Mahima Singh

Romance Classics

प्यार

प्यार

1 min
379


बात तो तब है जब हृदय समझ,

नयनों की भाषा

मन का गुंजन

तुम मेरे मनमीत।


है विश्वास और समर्पण का,

ये अटूट तेरा मेरा बंधन।

बस चाहूं मान तुझसे 

पर भी समेटे 

उड़ना चाहूं बस तेरे 

आसमां पर।


पलकों पे बिठा लो

मेरा आंचल खुशियों

से भर दो माही 

रहता मन मेरा तेरे ही फेरे में

तुम भी एक फेरा तो लगाओ

मेरे हृदय के निलय का।


बैठी हूं मैं तेरे इंतजार में

मुझको चाहिए बस तुम सिर्फ तुम।

आखिर तुम्हें आना ही है

दिल को यह ऐतबार है।


तुमसे जुड़ी हर बात 

मेरी जिंदगी में नए रंग भरती है।

सुना करती हूं हर धड़कन में

लाती है सतरंगी उजाले हमारी दुनिया में

शामिल हैं मुझमें जैसे तुम मुझमे

रचती हर बार सतरंगी इंद्रधनुष

होली के रंगों की फुहार भीगो जाती हर बार।


बारिश की पहली बौछार लाए इश्क में

और भी खुमार।

तप्त हृदय को करती शीतल बस तेरी मुस्कान।

सारे रंग मेरे तुझसे ही पिया।

मेरे हसीन ख्वाबों की ताबीर।


सुना करती हूं हर बार सीने में 

कसम से लो कहा ! 

है बस एक तुम्हीं

से प्यार।


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