STORYMIRROR

Krishna Khatri

Romance

3  

Krishna Khatri

Romance

नन्हे सपने !

नन्हे सपने !

4 mins
230



नन्हीं दुनिया के नन्हे सपने 

चमकती आंखों के चमकते सपने,

नाजुक-सी मचलती

उंगलियों के मचलते सपने,

थिरकती थिरकन के 

थिरकते सपने, 

तेरे चेहरे की मासूमियत के

मासूम सपने 

नन्हे खिलते बदन के

खिलते सपने,

इन सपनों की बारात लेकर 

मिलते हो तुम मुझसे

लगते हो दूल्हा 

करते हो अठखेलियां मुझसे

तब सारा आसमान 

कदमों तले आ जाता है 

चांद हुलसकर 

गले लग जाता है

सितारे मेरी चुनरी में 

टंक जाते हैं 

बेचारा सूरज

मेरे पास आने को मचलता है 

और मैं ,,,,,,,,,,,,

मैं तेरे सपनों की परियों को 

आंचल में समेटे 

सूरज को समझाती हूं -

अरे बाबा 

रुक जा थोड़ी देर 

बाद में आना

अभी तो है पास मेरे 

मेरा " सोना " 

वो सोना ,,,,,,

जो सात समंदर पार से

मुझको ,,,,,,

ललचाता है 

तरसाता है 

इस सोने में 

अपनी " आब " दिखाता 

चांद को परे धकेलता

गले लग जाता है 

अपनी नाज़ुक-नन्हीं उंगलियां 

मेरे चेहरे पर फिराता है 

हौले से चूंटी काटता है 

Advertisement

color: rgb(0, 0, 0);">फिर हर्ष से किलकता है

नन्हीं नासिका फुलाता है 

मुझे भी फुला जाता है 

मैं फूलकर कुप्पा हुई

सूरज को नकारती हूं

कि तुझे धूप न लग जाए 

तेरी खुशी न मुरझाए

इसलिए तुझे 

अपने तन की छांव से 

ढक लेती हूं

तू छुप जाता है 

सूरज भी सहमा-सहमा-सा

चुप हो जाता है 

बेचारा ,,,,,,,

अपनी बारी का 

इंतजार करता है

मगर उस बदनसीब की तो 

बारी ही नहीं आती 

तब वो ,,,,,,,,

रोष में तपने लगता है 

कभी आग बरसाता है 

तो कभी बादलों के लिहाफ में

लिपटा मुझसे रूठ जाता है 

कुछ देर के लिए तो 

दुनिया ही अंधेरी कर जाता है 

जब गुस्सा उतरता है 

तो फिर मुस्कुराता ,,,,, 

आंख-मिचौली खेलता

पीला रसगुल्ला-सा बनकर 

मुझमें उतर जाता है 

मेरे सोने-सा 

सोना बन जाता है 

तब ,,,,,, 

ये आसमान 

ये चांद-सितारे 

ये कायनात

सब मिलकर 

मेरे आंचल में समा जाते हैं 

फिर जाने कब ,,,,,,

ये सारे नन्हे सपने बनकर

अठखेलियां करते हैं मुझसे! 

          


 





Rate this content
Log in

More hindi poem from Krishna Khatri

Similar hindi poem from Romance