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Amita Mishra

Romance

4.3  

Amita Mishra

Romance

सिर्फ एहसास.....

सिर्फ एहसास.....

4 mins
287


घूम आती हूँ ख्वाबों के उस सफर में जहाँ बसी है हमारी यादें ।

हां अब वो याद ही तो है जो अब साथ है ...बस एक याद।

तुम्हे पता है तुम्हारी बाइक मुझे किसी हवाई जहाज से कम नही लगती थी।

जिसमे बैठके मैं सात समुंदर घूम आती थी और तुम्हारी पीठ में सोकर सपनो में खो जाती थी।

तुम्हारा कहना .....अच्छा सुनो....अरे सुनो ना...ओए.. सो गई क्या? 

और मेरा सिर्फ ह्म्म्म.. कहना 

तो अच्छा सुनो तुम्हारी पीठ से ज्यादा आरामदायक सहारा नही मिला जिसमे मैं सिर रखकर सो जाऊ... अपने सारे गम भूल जाऊ....

सारी दुनिया हमारे आस पास होती थी लेकिन हम एक दूजे के पास...

शहर के सब लोग हमें देखते थे और हम एक दूजे के आँखो में है ना.....

वो प्यार वो तकरार और फिर प्यार सब बहूँ त याद आता है मुझे बहुत.....

वो नज़रे चुराना वो शर्माना फिर चुपके से तुम्हारे पास आ जाना याद है मुझे अब भी क्या तुम्हें भी याद है वो लम्हे वो पल जिस पल में हम हर पल एक दूजे का साथ मांगा करते थे।

हर शाम मंदिर जाना और भगवान से सिर्फ तुम्हारा प्यार और तुम्हे मांगना.....ऐसा लगता था जैसे तुम सिर्फ मेरे हो सिर्फ मेरे है ना.....

एक ऊँचा लंबा कद दूजा सोणा भी तू हद .... जब तुम आते थे मेरी दिल की धड़कने बढ़ने लग जाती थी सूझता कहा था मुझे कुछ तुम्हे देखने के बाद ऊपर से तुम्हारा सबके बीच अजनबी बन जाना और चुपके से कहना अच्छा सुनो ....तुम्हारे इतना कहते ही मुझे सिर्फ तुम्हारी ही आवाज सुनाई देती थीं।

होश तो जैसे किसी कोने में छोड़ देती थी।

पागल हो तुम .....यही कहती थी ना मैं तुम्हे और सचमुच तुम पागल ही तो थे जो यू पागलो की तरह सिर्फ मुझसे मोहब्बत करते थे एकदम पागल.....

अच्छा सुनो......ह्म्म्म.....चलो छोड़ो जाने दो.....अच्छा सुनो... क्या तुम अब भी मुझसे मोहब्बत करते हो...कहो ना ...क्या तुम...ह्म्म्म...बिल्कुल पागल हो तुम सच में.....

अब तुम्हारा वो प्यार वो पागलपन सब बहुत याद आता है मुझे।

सुनहरी याद बनके अब भी दिल के करीब है मेरे जब भी मैं गम में डूब जाती हूं तुम्हारी यादों में घूम आती हूं।

एक अजीब सा सुकून दे जाता है मुझे ऐसा लगता है जैसे तुम पास हो मेरे बिल्कुल पास वही एहसास बस घूम आती हूँ ख

्वाबों के उस सफर में जहाँ बसी है हमारी यादे।

हां अब वो याद ही तो है जो अब साथ है ...बस एक याद।

तुम्हे पता है तुम्हारी बाइक मुझे किसी हवाई जहाज से कम नही लगती थी।

जिसमे बैठके मैं सात समुंदर घूम आती थी और तुम्हारी पीठ में सोकर सपनो में खो जाती थी।

तुम्हारा कहना .....अच्छा सुनो....अरे सुनो ना...ओए.. सो गई क्या? 

और मेरा सिर्फ ह्म्म्म.. कहना 

तो अच्छा सुनो तुम्हारी पीठ से ज्यादा आरामदायक सहारा नही मिला जिसमे मैं सिर रखकर सो जाऊ... अपने सारे गम भूल जाऊ....

सारी दुनिया हमारे आस पास होती थी लेकिन हम एक दूजे के पास...

शहर के सब लोग हमें देखते थे और हम एक दूजे के आँखो में है ना.....

वो प्यार वो तकरार और फिर प्यार सब बहूँ त याद आता है मुझे बहूँ त.....

वो नज़रे चुराना वो शर्माना फिर चुपके से तुम्हारे पास आ जाना याद है मुझे अब भी क्या तुम्हें भी याद है वो लम्हे वो पल जिस पल में हम हर पल एक दूजे का साथ मांगा करते थे।

हर शाम मंदिर जाना और भगवान से सिर्फ तुम्हारा प्यार और तुम्हे मांगना.....ऐसा लगता था जैसे तुम सिर्फ मेरे हो सिर्फ मेरे है ना.....

एक ऊँचा लंबा कद दूजा सोणा भी तू हद .... जब तुम आते थे मेरी दिल की धड़कने बढ़ने लग जाती थी सूझता कहा था मुझे कुछ तुम्हे देखने के बाद ऊपर से तुम्हारा सबके बीच अजनबी बन जाना और चुपके से कहना अच्छा सुनो ....तुम्हारे इतना कहते ही मुझे सिर्फ तुम्हारी ही आवाज सुनाई देती थीं।

होश तो जैसे किसी कोने में छोड़ देती थी।

पागल हो तुम .....यही कहती थी ना मैं तुम्हे और सचमुच तुम पागल ही तो थे जो यू पागलो की तरह सिर्फ मुझसे मोहब्बत करते थे एकदम पागल.....

अच्छा सुनो......ह्म्म्म.....चलो छोड़ो जाने दो.....अच्छा सुनो... क्या तुम अब भी मुझसे मोहब्बत करते हो...कहो ना ...क्या तुम...ह्म्म्म...बिल्कुल पागल हो तुम सच में.....

अब तुम्हारा वो प्यार वो पागलपन सब बहुत याद आता है मुझे।

सुनहरी याद बनके अब भी दिल के करीब है मेरे जब भी मैं गम में डूब जाती हूं तुम्हारी यादों में घूम आती हूं।

एक अजीब सा सुकून दे जाता है मुझे ऐसा लगता है जैसे तुम पास हो मेरे बिल्कुल पास वही एहसास बस सिर्फ एहसास.....



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