प्यार तेरा ही कुछ कम रह गया
प्यार तेरा ही कुछ कम रह गया
अवाज आनी तेरी कैसे कम हो गई
थपकी कैसे तेरी बंद हो गयी
कैसे तू माना कि मैं सो गई
आँखें तो मेरी बंद ही नही हुई
हार मान कर तेरा जमीर यह कह गया
प्यार तेरा ही कुछ कम रह गया
हाथ तेरा मेरे माथे से क्यूं हट गया
तसल्ली देते रहना तेरा कैसे रह गया
कैसे तू माना कि मैं चुप हो गया
आँसू टपकना तो मेरा बंद ही नही हुआ
हार मान कर तेरा जमीर यह कह गया
प्यार तेरा ही कुछ कम रह गया
हल्दी तेरे हाथो से किधर रह गई
चिंता तेरे माथे से किधर खो गयी
कैसे तू मानी कि दर्द से जूझना बंद हो गया
चोट तो मेरा भरा ही नहीं
हार मान कर तेरा जमीर यह कह गया
प्यार तेरा ही कुछ कम रह गया