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Manoj Kumar

Romance Action

4  

Manoj Kumar

Romance Action

प्यार की जुदाई

प्यार की जुदाई

2 mins
289


मैं भंवरा नहीं हूं तेरे गुलशन के, जो मुझे धिक्कार रही हो।

मैं चूड़ामणि भी नहीं हूं, तेरे बालों के जो लपेट कर बांध रही हो।

मैं वहीं हूं पहली मुलाकात की निशानी, जो मिले थे हम दोनों राहों में।

तुम रख लेना हमें अपने दिल में, मैं कोई कांटा नहीं हूं, जो जला कर राख कर रही हो।


मैं कोई माली नहीं हूं, जो अपने बागों के फूलों को छिपा रही हो।

मैं कोई सवाली भी नहीं हूं, जो मुझसे बार- बार सवाल करती हो।

मैं वहीं आम के डाल पर बैठा पंछी हूं, जो सुबह उठकर देखने आती थी।

मुझे आवारा पंछी समझकर उड़ा मत देना, मैं कोई फालतू नहीं हूं, जो मुझसे अकड़ रही हो।


हां ! मैं कोई आंचल भी नहीं हूं, जो तुम कंधे पर रख लेती हो।

ओर! न मैं आंखो का काजल हूं, जो अपने ही आंख में लगा लेती हो।

मैं वहीं सनम, जो बिना पलके झुकाए देखती थी खिड़कियों से मुस्कराकर।

मुझे तन्हा छोड़ मत देना इश्क़ की गली में, मैं कोई बेवफ़ा भी नहीं हूं, जो इनकार कर रही हो।


ओर! न मैं कोई तेरे माथे की बिंदिया हूं, जो सिंगारदानी रख लेती हो।

न मैं कोई काग़ज़ हूं जो मुझे फाड़ रही हो।

मैं कितना समझाऊं तुम्हें, मैं तो वहीं हूं जो ख़त लिख कर, स्याही खत्म कर दी थी तेरी याद में।

मुझे छोड़ कर मत जाना, प्यार के बीच समंदर में, मैं कोई अजनबी नहीं हूं, जो इस तरह सता रही हो।


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