प्यार की बौछार
प्यार की बौछार
तेरे प्यार में मेरी जान गिरफ़्तार सी हो गयी
मोहब्बत चालबाज थी शिकार सी हो गयी।
वो सर्द काली रात थी और अनजान चेहरे
पहचान कुछ खास थी उधार सी हो गयी।
इल्ज़ाम नाम क्यों किये ज़माना ख़राब था
मैं बेवजह ही आज गुनहगार सी हो गयी।
खामोश सा कुछ-कुछ यूँ अंदाज़ था तेरा
जीते जी ज़िन्दगी मेरी दुश्वार सी हो गयी।
तुमसे कोई भी सिफारिश की हैं क्या कभी
आदतन कैसे ये आँखें भी दीदार सी हो गयी।
अब चाँद से मेरी भी रोज मुलाक़ात होगी
तुम आओगे मिलने मैं भी तैयार सी हो गयी।
मेरे मर्ज की दवा कर मेरा हमसफ़र मत बन
खामोश जुबां है मैं भी तो बीमार सी हो गयी
चुभती थी बात दिल में खंजर की तरह कभी
लफ्जों के वार से "नीतू" जार- जार सी हो गयी।
गिरह
धड़कन भी बेख़बर थी जाने कब मचल गयी
तुम आ गए तो प्यार की बौछार सी हो गयी।