प्यार के सोपान
प्यार के सोपान
दिल की गहरी गुफाओं में, कंदराओं में,
जब भावनाएँ टकराती हैं एक दूजे के लिए,
तो एक कशिश बाँध लेती है उन्हें
और एक प्रतिध्वनि उभरती है
हाँ! यही प्रतिध्वनि तो प्यार है
प्यार एक प्रतिध्वनि है
मन के गहरे कुहासे से उभर कर,
यह प्रतिध्वनि दिल के रास्ते से हो कर,
मन, मस्तिष्क और शरीर को
समर्पित कर देती है एक दूजे पर,
हाँ! यही समर्पण तो प्यार है
प्यार एक समर्पण है
समर्पण के मधुर क्षणों में आकर्षण,
जब अलग नहीं होने देता एक दूजे से,
तो अपूर्णता और पूर्णता के समागम से,
एक तृप्ति जन्म लेती है मन में,
हाँ! यही तृप्ति तो प्यार है.
प्यार एक तृप्ति है.
इस तृप्ति को बार-बार पाने के लिए,
जब दिल मचलता है बार-बार
पाने के लिए एक दूजे को हर बार,
तब बंधनों की मर्यादा में बँध कर,
तृप्ति से ही जन्म लेती है अतृप्ति
हाँ! यही अतृप्ति तो प्यार है
प्यार अतृप्ति का ही दूजा नाम है,
जो कभी तृप्त नहीं होता।