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Shekhar Rath

Romance

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Shekhar Rath

Romance

प्यार का तार

प्यार का तार

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प्यार तेरी मिठास अब गरल सा हे,

तेरी बेमौजुदगी में जीना भी अब सरल सा है।


सुलगती हवाएं आज फिर मुझे छूने आईं

आज फिर बजह-बेबजह मुझे उसकी याद दिलाने आई।


बड़े दिनों से नींद नसीब नहीं हो रही,

पर ये हवा तो उसके सपनों से भरी नींद उधार ले आई।


कर्जदार हो गया में तेरा,नींद से उठा तो तेरा लिखा खत मेरे चौखट पर आई।


दिल में बेचेनी बढ सी गई,खत पढ के आंखें नम सी गई।

जब मेरे हिस्से की खुशी आई,औ‌‌ सारी खुशी उसके आशियाने में बंट सी गई।


एक पल में बिखरी जिन्दगी संवर सी गई

जब औ‌ मेरे साथ एक धागे में बंधने की खबर लाई।



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