किनारा
किनारा
हम शायर हैं सहारे तेरे ,
नज़्में मेरी किनारे तेरे
तेरी सलाहमती कि खबर दे कोई
टुटते रहे ख्वाब मेरे।
क्या राज हे इन आँखों में
कभी झपकी नहीं पलकें मेरे
अपना एक पल अपना ना हो सका
हर एक पल गुजार दी इबादत में तेरे।
सारे आइने सवारें तेरे
मेरी कश्ती भी डुबी किनारे तेरे।