कदम
कदम
खुद को दफ़न करके उसके रंग में ढल चुके थे,
हाँ हम मोहब्बत की अगली शफों में साथ चल चुके थे।
जिसको निहार कर अच्छा वक्त देखा,
अब वही बिछड़ के बुरा वक्त दिखाने लग गए थे,
हाँ हम मोहब्बत की अगली शफों में साथ चल चुके थे।
रातों की नींद बस बात बन के रह चुके थे,
और दिल में दबी वो आखिरी सांस
बस मुलाकात की वो आखिरी शाम बन चुके थे।
हम तो तेरे आशियाने के चिराग थे,
जब खुद पर रहमान न होकर तुझे रौशन किया,
सालों साल अंधेरे में काट चुके थे।
हाँ हम मोहब्बत की अगली शफों में साथ चल चुके थे।