मुलाकात
मुलाकात
फिर कोई ऐसा वक्त वापस आए
मैं खामोश रहूँ और तू सब समझ जाए।
फिर वो हँसी कि सौगात लौट आए
मैं देखता रहूँ और तू गुलज़ार हो जाए।
प्यार की आरज़ू हर वक्त लहजे में होगी,
एक गुमनाम रात बितने के बात
ज़रुर मुलाकात होगी।
फिर कोई ऐसा वक्त वापस आए
मैं खामोश रहूँ और तू सब समझ जाए।
फिर वो हँसी कि सौगात लौट आए
मैं देखता रहूँ और तू गुलज़ार हो जाए।
प्यार की आरज़ू हर वक्त लहजे में होगी,
एक गुमनाम रात बितने के बात
ज़रुर मुलाकात होगी।