मन्नत
मन्नत
मन्नतों के दिए कभी बुझते नहीं
ये तो रंगे कुरबतों कि चाहत है कभी किसी को दिखते नहीं।
हर लम्हा मेरे दिलों दिमाग में बस तुम हो !
दूर से मुझे कोई पुकारे तो सोहबते आबाज से में पुछूं क्या ये तुम हो ?
मन्नतों के दिए कभी बुझते नहीं
ये तो रंगे कुरबतों कि चाहत है कभी किसी को दिखते नहीं।
हर लम्हा मेरे दिलों दिमाग में बस तुम हो !
दूर से मुझे कोई पुकारे तो सोहबते आबाज से में पुछूं क्या ये तुम हो ?