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Shekhar Rath

Others

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Shekhar Rath

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शिकायत भरी सांस

शिकायत भरी सांस

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हर सांस शिकायत करती है 

पर हर पल नए जज़्बात भरती है। 


हर रात बदन करवटें बदलती है,

मेरी हर सांस मुझे शिकायत करती है।


आँखें मेरी आंसूओं का एक

समंदर बनती है,

मेरी हर सांस मुझे शिकायत करती है।


मैं याद भी करूँ एक ख़ूबसूरत लम्हा,

मेरी हर सांस मुझे शिकायत करती है।


शिकायत तो अपनों से किया जाता है,

खैर मैं खुशनसीब हूं 

मेरी सांसें तो मुझे अपना मानती है,

मेरी हर सांस मुझे शिकायत करती है।



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